गजल जो चोट खाए हुए हैं
क्यों इस कदर गजल सिर्फ़ हुए जाते हो
कभी देखो अपने पैरों के निचे
हर राह तुम्हारे लिए हैं
हर फूल तुम्हारे लिए हुए हैं
मोहब्बत को यों खुदगर्जी तक न पहुँचाओ
एक बार एक नज़र मुझ पर उठाओ तो
यूँ गम को जीना सिर्फ़ तुम्हारा ही तो नही है
जिंदगी के लिए एक बार पुकारो तो
तुम हो इतनी हसीं
तुम हो हर बात से सुंदर
तुम हो प्यार की तरह
एक हाथ मेरी ओर बढाओ तो
हम भी हैं मोहब्बत के मारे
तुम्हे दोस्त जिंदगी का बनू
बात करो अब जिंदगी की
बात करो अब जिंदगी की.
-----अरुण देव्ग्तिकर
Sunday, 1 February 2009
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तुम हो प्यार की तरह
ReplyDeleteएक हाथ मेरी ओर बढाओ तो
हम भी हैं मोहब्बत के मारे
तुम्हे दोस्त जिंदगी का बनू
बात करो अब जिंदगी की
बात करो अब जिंदगी की.
सुन्दर लिखा है..लिखते रहें
स्वागत ब्लॉग परिवार में.
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है.... और श्री हनुमान जयंती पर शुभकामनाएं...
ReplyDeletenarayan...narayan
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है . मेरा भी साईट देखे और टिप्पणी दे
ReplyDeleteARUNJEE
ReplyDeletemere blog-follower banne ke liye aur hoslaafjaee karne ke liye dhanyvad apkee kavita marmsparshee hai ,badhai.GOD bless you.