Sunday, 1 February 2009

पूर्वी ग़ज़ल सिर्फ़ हुए जाते हैं

गजल जो चोट खाए हुए हैं
क्यों इस कदर गजल सिर्फ़ हुए जाते हो
कभी देखो अपने पैरों के निचे
हर राह तुम्हारे लिए हैं
हर फूल तुम्हारे लिए हुए हैं
मोहब्बत को यों खुदगर्जी तक न पहुँचाओ
एक बार एक नज़र मुझ पर उठाओ तो
यूँ गम को जीना सिर्फ़ तुम्हारा ही तो नही है
जिंदगी के लिए एक बार पुकारो तो
तुम हो इतनी हसीं
तुम हो हर बात से सुंदर
तुम हो प्यार की तरह
एक हाथ मेरी ओर बढाओ तो
हम भी हैं मोहब्बत के मारे
तुम्हे दोस्त जिंदगी का बनू
बात करो अब जिंदगी की
बात करो अब जिंदगी की.
-----अरुण देव्ग्तिकर

6 comments:

  1. तुम हो प्यार की तरह
    एक हाथ मेरी ओर बढाओ तो
    हम भी हैं मोहब्बत के मारे
    तुम्हे दोस्त जिंदगी का बनू
    बात करो अब जिंदगी की
    बात करो अब जिंदगी की.


    सुन्दर लिखा है..लिखते रहें

    ReplyDelete
  2. स्वागत ब्लॉग परिवार में.

    ReplyDelete
  3. हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है.... और श्री हनुमान जयंती पर शुभकामनाएं...

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छा लिखा है . मेरा भी साईट देखे और टिप्पणी दे

    ReplyDelete
  5. ARUNJEE
    mere blog-follower banne ke liye aur hoslaafjaee karne ke liye dhanyvad apkee kavita marmsparshee hai ,badhai.GOD bless you.

    ReplyDelete