Saturday, 8 August 2009
A Film show
अब कहने को कुछ
नही करता है मन....
क्योंकि .....
गुजर रहा है ...
परेशानियों से मेरा साजन.....
कुछ ऐसा दस्तूर है ....
इस जमाने के बनाये दस्तूर का....
की हम नही जा सकते
उनके पास ....
ये कैसे के दस्तूर..है...
और किसका....
बनाया हुआ है ये रीत और रिवाज....
जो है मेरे दिल के सबसे करीब ....
वो ही है सबसे दूर आज...
जिनके लिए जीने का करता है मन...
उनसे ही नही मिल सकता हूँ ......
मैं आज......
-नीरवता
नही करता है मन....
क्योंकि .....
गुजर रहा है ...
परेशानियों से मेरा साजन.....
कुछ ऐसा दस्तूर है ....
इस जमाने के बनाये दस्तूर का....
की हम नही जा सकते
उनके पास ....
ये कैसे के दस्तूर..है...
और किसका....
बनाया हुआ है ये रीत और रिवाज....
जो है मेरे दिल के सबसे करीब ....
वो ही है सबसे दूर आज...
जिनके लिए जीने का करता है मन...
उनसे ही नही मिल सकता हूँ ......
मैं आज......
-नीरवता
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