अभी अभी जो बात हुई है
अभी अभी जो तुमने जाना है
क्या तुमने भी वह माना है
तेरी मेरी थी जो बात
वही कही हमने आज
जब तक है तेरी मेरी सांस
क्या हो पायेगा सच, क्या
बदलती तुम्हारी दुनिया में जहाँ
तुम्हारी दुनिया सिर्फ़ तुम्हारी
होती है , हमेशा मुझसे अलग
लेकिन तुम निर्भर ही होती हो
हमेशा इसी दुनिया में
किसी न किसी पर
तुमने चाहा है मुझे
मैंने चाहा तुम्हे
हर बार तब भी।
-अरुण देव गतिकर
वाह! सुंदर कविता
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