Sunday, 24 May 2009

तेरी मेरी बात


अभी अभी जो बात हुई है


अभी अभी जो तुमने जाना है


क्या तुमने भी वह माना है


तेरी मेरी थी जो बात


वही कही हमने आज


जब तक है तेरी मेरी सांस


क्या हो पायेगा सच, क्या


बदलती तुम्हारी दुनिया में जहाँ


तुम्हारी दुनिया सिर्फ़ तुम्हारी


होती है , हमेशा मुझसे अलग


लेकिन तुम निर्भर ही होती हो


हमेशा इसी दुनिया में


किसी न किसी पर


तुमने चाहा है मुझे


मैंने चाहा तुम्हे


हर बार तब भी।

-अरुण देव गतिकर



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