Saturday 8 August 2009


'आई सी टी यु' के महासचिव अरुण कुमार और एच आर लौव नेटवर्क के कोलिन गोंजल्विश।








१ अगस्त' २००९ रांची, झारखण्ड में 'ह्युमन राइट्स लौव नेटवर्क' के 'ओं लेबर इस्सू' पर अपनी बात रखते हुए 'आई सी टी यूं ' के महासचिव अरुण कुमार।

A Film show


रांची, झारखण्ड में 'ओपन स्पेस' द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में फ़िल्म शो (३० जुलाई'२००९) में 'नोट्स ऑन मैन कैप्चर : ट्राइबल कस्टम इन गारो आदिवासी ऑफ़ नोर्थ ईस्ट' फ़िल्म पर अपने विचार रखते हुए। अरुण कुमार, आई सी टी यू के महासचिव।
अब कहने को कुछ
नही करता है मन....
क्योंकि .....
गुजर रहा है ...
परेशानियों से मेरा साजन.....
कुछ ऐसा दस्तूर है ....
इस जमाने के बनाये दस्तूर का....
की हम नही जा सकते
उनके पास ....
ये कैसे के दस्तूर..है...
और किसका....
बनाया हुआ है ये रीत और रिवाज....
जो है मेरे दिल के सबसे करीब ....
वो ही है सबसे दूर आज...
जिनके लिए जीने का करता है मन...
उनसे ही नही मिल सकता हूँ ......
मैं आज......
-नीरवता
जिंदगी की शाख से
जो गिर चुकी
उन टहनियों का
बूढ़ी पुरानी पत्तियों का
हम सोग आखिर क्यों
करें जिंदगी की राह से
जो मुड़ गए
उन दूर जाते रास्तों का
बिछुडे हुए कुछ दोस्तों का
आख़िर ख़याल क्यों करें
हम तो मुसाफिर हैं
के चलना है हमारी ज़िन्दगी
पैरों के छालों का
बहते किनारों का
उड़ते गुबारों का
कुछ भी मलाल
क्योँ करें
-नीरवता